शायद तुम्हें ये बात थोड़ी अज़ीब लगे मगर मुझे ये सही लगती हे । वो कहावत हे न - गलत गलत ही होता हे चाहें सभी क्यूँ न करें , सही सही होता ही चाहें कोई न करे । ये बात उस आधी रात की ही जब में मेरे परिवार के साथ एक साथ बराबर बराबर बिस्तर पर सो रहे थे। में मेरी बहन , मेरी बहन की सहेली , ओर उसकी छोटी बहन।
ये पहला मौका था जब में किसी जवान लड़की के साथ सो रहा था । कामुकता ओर सेक्स क्या हे । सही से पता भी नहीं था । मगर उसको समझने का , उसका आनंद लेने का मानो भूत सवार था सर पर। ये गर्मी के दिन थे। रात रात भर सबको मच्छर परेशान करते थे । पर मेरे सर पर तो सेक्स ओर कामुकता का भूत परेशान करता था।
वैसे तो वो रोज रात को नए - नए सुझाव देता था , मगर आज तो मेरे पीछे हाथ धोकर पड़ गया । वो मुझे बार - बार उकसा रहा था। या ये मेरी उम्र का पड़ाव था । जो में समझ नहीं पा रहा था । जो मुझे नया अनुभव करा रहा था । अभी 16 साल का ही तो हुआ था । जवानी फूटने लगी मुझमे । मेरी बहन मेरे दाईं तरफ़ ओर उसकी सहेली मेरी बाईं तरफ । एक पल तो एसा लगा जैसे आज भगवान सचमुच मुझ पर मेहरबान हो ।
लेकिन सब बातों के साथ - साथ में गभराह भी बहुत रहा था। बार- बार- यही डर सता रहा था । कही मैने इसे छूने की कोशिश की तो कहीं ये मुझे चिल्ला न दे , सबको जग न दे, या किसी को ये बात बता दी तो में तो बुरी तरह से फंस जाऊंगा मेरा क्या होगा मेरी तो अभी इज्जत सही से बनी भी नहीं थी। उससे पहले ही में बदनाम हो जाऊंगा]।
लेकिन थोड़ी- थोड़ी देर में सेक्स का भूत फिर मेरे ऊपर हावी हो जाता । मुझे ये सोचने पर बजबूर करता की। की एसा मौका फिर कभी कहा मिलेगा । तेरी किस्मत अच्छी हे । हमेशा प्यासा कुएं के पास जाता हे - यहाँ तो कुआँ तेरे पास चल कर आया हे । भूजा ले अपनी प्यास । पूरा करले अपना अनुभव, उठा ले आनंद सेक्स का । में कुछ तय नहीं कर पा रहा था।
क्या सही हे ओर क्या गलत । इधर में अपनी इज्जत का बचाऊँ या फिर सेक्स के भूत की खुराक मिटाऊँ । गंभीर हालत हो गई शरीर बुरी तरह ठंड से कांप रहा था, कपड़े पसीने से भीग रहे थे , सांस भी अटक -अटक के चल रही थी। लगभग 3 घंटे से यही चल रहा था । सुबह होने ही वाली थी । एक बार तो सोचा क्यू खुद को थका रहा हु।
वैसे भी ये मेरे बस की बात नहीं। जो लड़की से बात तक करनें में गभराता हो । वो भला क्या किसी के साथ कुछ करेगा । लेकिन फिर वही सेक्स का भूत दिमाग का दरवाजा पीटने लगता ओर कहता । क्यू इस सुनहरे मौके का फायदा नहीं उठा रहा, बेवकूफ हे तू । मेरी बात मान अगर जवानी का मज़ा लेना हे तो जो में कहता हु वैसा ही कर ।
ज्यादा सोचने की कोई जरूरत नहीं हे । ये सारी दुनिया एसे ही चलती हे । ओर ये सब एसा ही करते है । अगर तू भी करेगा तो इसमे बुराई क्या है । धीरे- धीरे सुबह हो गई ओर मुझे पता ही नहीं चला रात केसे बीत गई । अचानक उसने करवट ली तो - मैने झट से अपनी आँखें बंद करलीं -ओर एसा सोया -जैसे मानो में सो नहीं रहा बल्कि मर गया हूँ।
ओर इस तरह में रात भर इज्जत के भगवान ओर सेक्स के शेतान से लड़ता रहा ।
अंत में समझ आया वाक़ई इज्जत बहुत बड़ी चीज होती हे ।
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