मुहर्रम: उत्सव या शोक का अवसर? 🕯️ मुहर्रम, इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना, न केवल हिजरी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह एक गहरे शोक और आत्मचिंतन का समय भी है। यह पवित्र महीना इमाम हुसैन इब्न अली, पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) के नवासे, और उनके 72 साथियों की कर्बला की जंग में शहादत को याद करने का अवसर प्रदान करता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या मुहर्रम का दिन उत्सव का है या अवसाद और शोक का? आइए, इस विषय को गहराई से समझें और हाल के समाचारों के आधार पर इसकी महत्ता को जानें। 🌙 मुहर्रम का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व मुहर्रम का दसवां दिन, जिसे **आशूरा** के रूप में जाना जाता है, इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह वह दिन है जब 680 ईस्वी में कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों ने यज़ीद की अन्यायपूर्ण सत्ता के खिलाफ सत्य और न्याय के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। यह बलिदान न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए, बल्कि सभी मानवता के लिए सत्य और नैतिकता की मिसाल है। 🖤 हाल के समाचारों के अनुसार, भारत के विभिन्न हिस्सों में मुहर्रम को शांतिपूर्ण और सौह...
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